योग के ग्रंथ: पतंजलि योग सूत्र (Scriptures of Yoga: Patanjali Yoga Sutras)
योग का इतिहास (History of Yoga)
योग अभ्यास का एक प्राचीन रूप है जो भारतीय इतिहास में हज़ारो वर्षों पूर्व विकसित हुआ था।
योग की शुरूवात करीब 3000 साल पहले हुई थी, जिसका श्रेय महर्षि पतंजलि को जाता है। महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र की रचना की, जिसमे योगशास्त्र भी एक है। पतंजलि के अनुसार, “चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना” ही योग है, और “एकाग्र चित्त को ईश्वर में लीन करना।”
योग का उल्लेख ऋग्वेद में भी है, और इसका लगातार इसका अभ्यास भी किया जा रहा है। विभिन्न प्रकार रोगों से मुक्ति के लिए प्राणायाम एवं व्यायाम का अभ्यास किया जाता रहा है।
ध्यान एक ऐसा माध्यम है जिससे मन व शरीर के पार जाया जा सकता है। अर्थात मन पर काबू पाया जा सकता है। और इस तरह योग शरीर मन और आत्मा को नियंत्रित करता है।
आपको जान के हैरानी होगी कि, विश्व में लगभग 2 अरब लोग योगाभ्यास करते हैं।
यह स्वस्थ्य जीवन जीने की कला और विज्ञान है, जिसमे नकारात्मक शक्ति को सकारात्मक शक्ति के द्वारा बाहर किया जा सकता है और अभी भारत मे प्रचलित है।
जहाँ आज कल लोग मानसिक तनाव से ज्यादा जूझ रहे है yoga से मन को एकाग्र कर सकते है साथ ही साथ Depression, Anxiety जैसे परेशानी से भी उबरा जा सकता है।
योग के कई प्रकार है जिससे अलग अलग परेशानी से छुटकारा पा सकते है।
योग क्या है (what is yoga)
अतः योग को भगवान की सार्वभौमिक भावना के साथ व्यक्तिगत आत्मा को एकजुट करने के एक साधन है, जिसमे मनुष्य के मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक विकास होता है।
योग के प्रकार (Types of yoga) (yoga type )
योग को मुख्यतः 4 भाग में विभाजित किया गया है।
- कर्म योग (Karma Yoga)
- भक्ति योग (Bhakti Yoga)
- ज्ञान योग (Gyan Yoga)
- क्रिया योग (Kriya Yoga)
आइये इनके बारे में विस्तार से जाने।
कर्म योग (Karma Yoga)
कर्म योग का अर्थ है कि अपने कार्य में आप इतने कुशल हो जाएँ कि वह आपके लिए एक खेल से काम न लगे।
कर्म योगी यह कभी नहीं सोचता कि मेरे कर्म करने के कारण मुझे भगवान की स्तुति का समय ना मिला बल्कि उसका कर्म ही उसकी स्तुति बन जाता है। वह अपने कार्यकुशलता को ही सर्वोपरि मानता है।
अपने शरीर को स्वस्थ एवं मजबूत बनाने के लिए हम जो भी अभ्यास या क्रियाकलाप करते है। वह भी कर्म योग के अंतर्गत ही आता है। अपना दिनचर्या ऐसा बनाये की आपका नियत कार्य भी सध जाये।
कर्म ऐसा हो कि जो आपका निःस्वार्थ भाव से संलग्न हो, अर्थात फल की आकांक्षा न हो। अपना कर्म ईमानदारी से करते रहना ही आपको कर्मयोगी बना सकता है।
भक्ति योग (Bhakti Yoga)
यह योग आध्यात्मिकता का सबसे महत्वपूर्ण एवं आसान मार्ग है। जिसमे प्रेम व भक्ति को अनुशासित व व्यापक कर सत्ता से एकाकार किया जाता है।
इसमें योगी हर पल भगवान की छाया-प्रतिछाया देखता रहता है। नान स्मरण चलता रहता है। अर्थात उनका हर कार्य प्रभु के याद के बिना, उसे निहारे बिना, जपे बिना, पूजे बिना नहीं होता है।
प्रभु के दर्शन ही उनके लिए सर्वस्व होता है।
भक्ति योग के चरण-
- हरि-स्मरण, जप, वंदना और श्रवण।
- स्तुति व भजन करना।
- पूजा करना।
- अनुष्ठान करना।
भक्ति योग मन व ह्रदय की शुद्धि से जुड़ा होता है। यह योग प्रतिकूल समय में भी साहस प्रदान करता है। निर्मल भाव से प्रभु स्मरण किया जाये तो भक्ति योग सार्थक होती है। भगवान की कृपा अपने भक्तों पर हमेशा बरसती है।
ज्ञान योग (Gyan Yoga)
ईश्वर से साक्षात्कार करने के लिए यह मार्ग अत्यंत कठिन और लम्बा होता है, क्योकि इसमें ज्ञान को ही सर्वोपरि बताया गया है जिसमे कोई ज्ञानी अपने गहरी अंतरात्मा के मन से ध्यान और आत्मप्रश्न द्वारा मानसिक तकनीकों को ईजाद करता है, और आंतरिक आत्मा में विलय करना सीखता है।
यह योग बाहरी आडम्बरों को स्थान नहीं देता और मूर्तिपूजा, स्तुति करना आदि को नहीं मानता।
ज्ञान योग 6 मौलिक गुणों को साधने से ही सधती है:
- शांति
- नियंत्रण
- बलिदान
- सहिष्णुता
- विश्वास
- ध्यान
योगी इन सभी को मन में केंद्रित करके मन व भावना को स्थिर करता है जो उसे लक्ष्य तक ले जाता है ऐसा माना जाता है कि इसे सक्षम गुरु ही मार्गदर्शन कर सकता है।
क्रिया योग (Kriya Yoga)
क्रिया योग एक शारीरिक प्रथा है। जिसमे प्राणायाम, श्वासों का नियंत्रण, आसन, शारीरिक मुद्राएं आदि होती हैं।
इस योग में कम समय में मानव प्रणाली को सक्रिय किया जाता है। स्वस्थ रखने वाले हार्मोन व एन्जाइमों को सक्रिय किया जाता है। रक्त में आक्सीजन की मात्रा बढ़ती जाती है। बीमारियाँ कम हो जाती है सिर में अधिक परिसंचरण के माध्यम से मस्तिस्क की कोशिकाओं को सक्रिय किया जाता है।
इस योग से धीरे धीरे ध्यान बढ़ता जाता है, और समाधि की चरम स्तर पर पहुंच जाता है।
पतंजलि ने क्रिया योग के अंतर्गत आष्टांग योग के 08 चरण बताये हैं।
- यम: यम के 5 सामाजिक नैतिकता है-
- सत्य
- अहिंसा
- अम्तेय (चोर प्रवृत्ति ना होना)
- ब्रम्हचर्य
- अपरिग्रह (संचय न करना )
- नियम: नियम के 5 व्यक्तिगत नैतिकता हैं।
- शौच- शरीर व मन की शुद्धि
- संतोष- प्रसन्न व संतोष
- तप- स्व-अनुशाषित
- स्वाध्याय- आत्मचिंतन
- ईश्वर- प्राणिधान- पूर्णसमर्पण
- आसन: शरीर को साधने का तरीका।
- प्राणायाम:
- श्वास व प्रश्वास का नियमन।
- मन की चंचलता पर विजय।
- साँसों पर नियंत्रण।
- नाड़ी शोधन क्रिया।
- प्रत्याहार: इन्द्रियों को वश में करना, जो चंचल है। तथा चित्त एकाग्र करना।
- धारणा: किसी एक विषय पर ध्यान केंद्रित करना।
- ध्यान: निरंतर किसी एक स्थान या वस्तु पर मन को केंद्रित करके विचार शून्य होना।
- समाधि: चित्त की एक ऐसी अवस्था, जिसमे ध्येय किसी चिंतन में पूरी तरह लीन हो जाता है। समाधि को ही मोक्ष का द्वार कहा गया है।
आधुनिक योग (modern yoga) how many yoga poses are there in Hindi
- प्राणायाम (pranayam)
- आसन (yoga poses/yoga asanas)
- मेडिटेशन (meditation)
- रिलैक्सेशन(relaxation)
प्राणायाम (pranayam)
1. भ्रामरी प्राणायाम (BHRAMARI)
- ध्यान के आसान में बैठे और रीढ़ को सीधा कर हाथ घुटनो में रखे।
- तर्जनी को कान के अंदर डाले दोनों नाक के नथुनों से श्वास को धीरे धीरे (ॐ) शब्द का उच्चारण करने के पश्चात मधुर आवाज
- मे कण्ठ से भौरे के समान गुंजन करे।
- नाक से स्वास को धीरे धीरे बाहर छोड़े दे।
- इस प्राणायाम को 3 से 5 बार करे
भ्रामरी करने के फायदे
- मन एकाग्र होता है।
- HTN, High BP (उचरक्तचाप ) पर नियंत्रण कर सकते है।
- ह्रदय के लिए फायदेमंद है।
- पेट की परेशानी को दूर करता है।
2. अनुलोम-विलोम (ANULOM-VILOM) प्राणायाम
- ध्यान के किसी भी आसन मे बैठे।
- दाये हाथ उठाकर अंगूठे नाक पर रखे और बाए नाक से साँस अंदर ले।
- श्वांश यथाशक्ति रोकने के पश्चात बाए नाक से छोड़ दे।
- पुनः दाये नाशिका से स्वाश से ले और बाये नाशिका से धीरे धीरे छोड़ दे। कृपया जल्दबाजी न करे
अनुलोम-विलोम के फायदे
- शरीर की सम्पूर्ण नस-नाड़ी की शुद्धि होती है।
- भूख बढ़ता है।
- मन एकाग्र होता है।
3. कपाल भाती प्राणायाम (SKILL SHINNING BREATHING TECHNIQUE)
- ध्यान के किसी भी आसन में बैठे।
- रीड़ की हड्डी सीधा करके हाथ ज्ञान मुद्रा में रहे और घुटने पर रखे।
- आंख बंद करे और लम्बा साँस ले और थोड़ा थोड़ा करके झटके के साथ साँस छोड़े। ध्यान रहे की पूरी साँस को एक बार में ना छोड़े।
- यह प्रक्रिया कम से कम 10 बार करे।
कपाल भाती के फायदे
- यह चयापचय (मेटबोलिज्म) प्रक्रिया को बेहतर करने मे मदद करता है।
- पेट के माँसपेशियों को मजबूत करता है।
- शरीर मे रक्त के परिसंचरण को सही करता है।
- मन एकाग्र करता है।
4 भस्त्रिका प्राणायाम( BELLOWS BREATH )
- ध्यान के आसन मे सीधे बैठे।
- लम्बा गहरा सांस अन्दर ले और फेफड़ों में स्वास भर लें और 5 तक गिन कर बाहर छोड़ दें।
- अब धीरे धीरे करके स्वास को अंदर ही धीमी गति के साथ रुक-रुक के स्वास छोड़े।
- इस क्रिया को लगातार कम से कम 21 बार करे। (श्वास लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को एक बार में ही गिना जाए।)
भस्त्रिका प्राणायाम क फायदे
- इससे रक्त पुरे शरीर के हर अंग में अतिरिक्त OXYGEN पहुँचता है BRAIN, SKIN और शरीर की सारी कोशिकाओं में भी।
- गले में सूजन और कफ के संचय को कम करता है।
- यह तंत्रिका तंत्र को संतुलित करता है।
- लेबर और डिलीवरी के दौरान महिलाओ क लिए उपयोगी है।
- इससे शरीर के विषाक्त पदार्थ ख़त्म हो जाता है, और तीन दोष (कफ, पित्त, वात) संतुलित हो जाते है।
5. नाड़ी शोधन प्राणायाम (Alternate Nostril Breathing Technique)
- ध्यान के आसन में बैठे।
- पहले उंगली को माथे पर रखे और शेष ऊँगली आँखों पर रखे और अंगूठे से कान बंद करे।
- अब नाक से उच्चारण करे और सांस भर कर 3 बार भ्रामरी करे।
नाड़ी शोधन प्राणायाम के फायदे
- थकावट दूर कर सकते है
- अल्जीमर (alziemer ) जैसे परेशानी को दूर कर सकते है
- dementia को बढ़ने से बचा सकते है
- consciousness को बढ़ाता है।
आसन (yoga asanas/yoga stretches)
आसन के प्रकार
पदमासन
- दोनों पैरो को फैलाये और दोनों हाथो से बाएं पैर की एड़ी को उठाकर नाभि से स्पर्श करते हुए दायें जंघा पर रखे।
- इसी प्रकार दाये पैर की क्रिया दुहराए।
- घुटनो को जमीं पर टीका कर रखे और हाथो को घुटनो के ऊपर रखे।
- रीढ़ की हड्डी सीधी रखे।
- नेत्रों को बंद करें, ध्यान को केंद्रित करने का प्रयास करे।
- आसन को अपनी क्षमता के अनुसार करे।
- श्वास प्रश्वास की क्रिया सामान्य रखे।
पदमासन के फायदे
- घुटनो और जोड़ो का दर्द दूर होती है।
- मन एकाग्र होता है।
- शरीर को स्थिर करने मे सहयोग मिलता है।
- पिण्डली मजबूत होती है।
वज्रासन
- दाहिना पैर घुटने से मोड़कर दाहिने नितम्ब के निचे ले आइये। (पैर के पंजे अंदर की ओर रहेंगे)
- अब बायाँ पैर मोड़कर उसी प्रकार बाईं नितम्ब के नीचे ले आइये।
- हाथ जांघो पर (दाँया हाथ दायी जांघ पर तथा बाया हाथ बाईं जांघ पर) रहेगा।
- सीधे बैठे जाइये, दृष्टि सामने अथवा बंद रहेगी।
- वापस आते समय पहले बायाँ पाँव दाहिने और थोड़ा झुकते हुए बाई नितम्ब के नीचे से निकालकार सीधा रख लीजिये।
- इसी प्रकार दाहिनी पाँव भी सीधा कर लीजिए और पूर्व स्थिति में आ जाइये।
वज्रासन के फायदे
- जांघो तथा पिंडली और माँसपेशियाँ मजबूत होती है।
- मेरुदंड सीधा और जोड़ो का दर्द दूर होता है।
- पाचन क्रिया ठीक होती है।
वृक्षासन
- सबसे पहले अपने दोनों हाथो को बगल में रख कर सीधे खड़े हो।
- उसके बाद ध्यान से दाये पैर को अपने बायें पैर के जांघ पर रखकर सीधे खड़े रहे।
- उसके बाद धीरे-धीरे दोनों हाथो को जोड़कर ऊपर की और ले जाये और प्राथना मुद्रा धारणा करे।
- कम से कम 30 -45 sec तक इस मुद्रा में बैलेंस करने की कोशिश करे।
- संतुलन में सुधार आना।
- जांघो और पैर को मजबूत करता है।
- रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है।
ताड़ासन
विधि
- सीधे खड़े होकर दोनों हाथ की उंगलियों को आपस में फंसाते हुए सिर पर रखे।
- श्वास लेते हुए हाथो को पलटकर ऊपर की ओर ताने।
- साथ-साथ पुरे शरीर को पंजो के बल पर ले आये और यथाशक्ति रुके और फिर श्वास छोड़ते हुए नीचे पूर्व स्थिति मे आये।
- दोनों हाथ सिर पर, पैर समावस्था में रखे।
- इसी क्रिया को पांच बार करे।
ताड़ासन के फायदे
- उचाई तेज गति से बढ़ती है।
- मेरुदंड लचीला होता है।
- पेट का कब्ज दूर होता है।
- रीढ़ की हड्डी का दर्द दूर होता है।
उष्ट्रासन
- वज्रासन की स्तिथि में बैठे।
- नितम्ब का भार पंजो पर दे, ध्यान रखे घुटने आपस में मिले हो, एड़िया भी मिली होनी चाहिये।
- अब घुटनो के बल खड़े हो जाये और घुटनो को कंधे के बराबर फैलाये।
- दोनों हाथो को पीछे लेकर शरीर को यथाशक्ति खींचने का प्रयास करे।
- क्रिया को पुनः दोहराये।
उष्ट्रासन के फायदे
- पाचन शक्ति को ठीक करता है।
- इस आसन से रीढ़ एवँ कमर दर्द में आराम मिलता है।
- फेफड़ो के लिए लाभदायक होता है।
- शरीर को लचीला बनाता है।
मेडिटेशन (meditation)
आपमें से बहुत लोग ये जानते ही होंगे की Meditation क्या है इसके क्या फायदे हैं फिर भी मैं आपको कुछ बताना चाहता हुँ
ये तो आप जान गए होंगे शरीर, मन और आत्मा को मिलाने के लिए अच्छे ध्यान की जरुरत होती है, जिससे हमारे द्वारा करने वाली कोई भी क्रिया को हम सही तरीके से कर सके।
What is Meditation
Meditation एक ऐसी क्रिया है जिसमे हम अपने मन कर, मन को अपने मष्तिष्क के मध्य बिंदु पर केंद्रित करने का प्रयास करते हैं। इससे एकाग्रता भी बढ़ती है।
इसके द्वारा जीवन की अनेक समस्याओ का निवारण कर सकते है, और हमारे जीवन में होने वाली कई परेशानियों का सामना कर सकते है, जैसे ; depression, suicidal thought, चिड़चिड़ापन।
मैडिटेशन के फायदे
- तनाव को दूर कर सकते है
- निखरी त्वचा।
- blood pressure को नियंत्रण म रख सकते है
- मानसिक स्वास्थय के लिए लाभदायक है
- याददाश्त बढ़ाने म मदद होती है एकाग्रता बढ़ता है
रिलैक्सेशन (relaxation)
योग के फ़ायदे (benefits of yoga) why yoga is important in hindi.
कहा जाता है, कि हमे केवल कर्म करने का ही अधिकार है ना की फल की इच्छा करना अर्थात बहुत लोग सोचते है कि आज योग शुरू किये और कल से ही आपको परिणाम देखने को मिले ऐसा नहीं हो सकता। इसलिए आप अगर कुछ भी करते हैं तो उसे पूरी तल्लीनता से करें।
योग करने वाले अभिभावक योग को आधे रास्ते पर इसलिए छोड़ देते हैं, क्योकि उनकी फल की जो आकांक्षा थी, एक निश्चित समय तक वह उसे नहीं मिल पायी। ऐसे लोग अपना विश्वास खो बैठते है। अंततः उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हो पाता।
हम सोचते है कि जब रोग से ग्रसित हो तभी दवाई खायी जाये। और अधिकांश लोग इंतज़ार करते रहते है कि कब रोग आएगा, कब हम दवा लेंगे।
क्यों न हमे ऐसा करना चाहिए कि अपने दिनचर्या तथा खानपान को ऐसा बनाये कि रोग आये ही ना। और अगर आये तो हमारा शरीर इतना मजबूत हो कि उससे लड़ सके।
अगर हम केवल 2 बातों का ख्याल रखें तो बात बन सकती है एक दिनचर्या और दूसरी खानपान।
अपनी दिन की शुरुवात ऐसी हो की प्राणवायु अच्छे से मिल सके। उसके लिए हमे थोड़ा जल्दी उठने का प्रयास करना है।
जो व्यक्ति सुबह उठ कर पैदल चलते है और सुबह सुबह व्यायाम भी कर लें , वह भी बड़े स्वथ्य पाए जाते हैं।
और दूसरी बात ये कि पेट का ध्यान रखा जाये जैसे आप किस समय क्या खा रहे हैं? कैसा खा रहे हैं? इत्यादि।
हमारा शरीर प्राकृतिक है, इसे जितना आप प्रकृति से दूर करने का प्रयास करेंगे उतना ही कष्ट होगा। योग के ज़रिये आप इन सभी बातों का ध्यान रख पाएंगे।
योग के अनेक फायदे हैं, योग से असाध्य रोग भी ठीक कर सकते हैं। केवल आपको समर्पण, त्याग और विश्वास के साथ निरंतर करते रहना है।
- मांसपेशियों को जकड़न से दूर रखता है।
- पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
- आंतरिक अंगो को शक्ति देता है।
- अस्थमा, मधुमेह, दिल की बीमारी में मदद करता है।
- त्वचा को चमक प्रदान करता है।
- सहनशक्ति एवं एकाग्रता को बढ़ाता है।
- मन व विचार पर नियंत्रण बढ़ता है।
- चिंता, तनाव व अवसाद को दूर होते है।
- रक्त परिसंचरण ठीक करता है।
- आध्यात्मिक शक्तियों के विकास का बेहतर मार्ग है।
वैसे तो योग के और भी बहुत से अनेक फायदे हैं, जिनको गिनाया नही जा सकता, परन्तु आपसे निवेदन है कि आप योग करते रहें और स्वस्थ रहे।
आपको फायदे जरूर मिलेंगे और हमे भी comment करके बतायें की आपको कौन कौन से फायदे मिलते हैं।
योग कब करें या योग करने का सही समय क्या होता है। (what is the correct time to practice yoga in hindi)
सूर्योदय से 1-2 घंटा पहले योग करने के लिए अच्छा समय माना जाता है क्योकि इस वक़्त वायु में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है और प्रदुषण भी काफी हद तक कम होता है।
परन्तु अगर सुबह का समय आपके लिए संभव नहीं हो प् रहा हो तो आप दिन में किसी भी समय योग कर सकते है,आपको कुछ बातों का ख्याल रखना पड़ेगा-
- हर दिन आप एक ही समय निर्धारित करें, जो आपके लिए उत्तम हो।
- किसी भी योग या आसन को बिना दरी या yoga mat के ना करें यह आपके पूरी मेहनत पर पानी फेर सकता है।
क्या योग स्ट्रेचिंग या फिटनेस के अन्य प्रकार से अलग है? (Is Yoga Different From Stretching or Other Kinds of Fitness?)
योग केवल शारीरिक मुद्राओं जैसे स्ट्रेचिंग या फिटनेस से काफी अलग है।और इसे एक विशेष दर्जा भी दिया गया है, पतंजलि के अनुसार शारीरिक अभ्यास योग का सिर्फ एक पहलू है। शारीरिक अभ्यास के अंतर्गत योग अद्वितीय है क्योंकि हम शरीर की गति और मन के उतार-चढ़ाव को अपनी सांस की लय से जोड़ते हैं।
शरीर, मन और सांस को जोड़ने से हमें अपने ध्यान को अंदर की ओर निर्देशित करने में मदद मिलती है। अंदर की ओर ध्यान देने की इस प्रक्रिया के माध्यम से हम अपने अभ्यस्त विचार को पहचानते हुए उन्हें बदलने की कोशिश करते हैं। हम समय-समय पर अपने अनुभवों के बारे में अधिक जागरूक हो जाते हैं।
जो जागरूकता हम अपने अंदर पैदा करते हैं वह योग को एक कार्य या लक्ष्य पूरा करने के बजाय एक अभ्यास बनाता है। योग करने से आपका शरीर के साथ साथ मन भी लचीला हो जाता है। जो कि योग का एक सुन्दर पहलु है।
योग की शुरुवात करने के लिए टिप्स व सुझाव (tips for beginners to start yoga in hindi)
अगर आप जीवन में पहली बार योग शुरू करने जा रहे है तो आपको कुछ जरुरी बातों का खास ध्यान रखना चाहिए।
- सबसे पहले आप अपने मन में ठान ले आपको योग एक बार शुरू करने के बाद छोडनी नहीं है। क्योकि शुरुवात में शरीर के कम लचीलेपन के कारण थोड़ी तकलीफ होती है, दर्द होता है, और अधिकांश लोग इसी शुरुवाती दौर में ही योग को छोड़ देते हैं।
- शरीर के उतने लचीले ना होने की कारण आप ज्यादा जबरदस्ती न करे। अपने शरीर को थोड़ा वक़्त दें।
- शुरुवात में केवल वही योग या आसन करें जो सरल हो। आप केवल श्वास पर ध्यान दें।
- रुक रुक कर आसन को लयबद्ध तरीके से करें।
- अगर संभव हो तो किसी योग गुरु की देख रेख में ही योग करें।
योग का धर्म क्या है? (what is the religion of yoga in hindi)
योग हमारे जीवन का एक अटूट अंग बने, ऐसा प्रयास हमे करना चाहिए, क्योंकि योग किसी धर्म या सम्प्रदाय तक सीमित नहीं है। बल्कि यह तो सार्वभौम है।
जो व्यक्ति इसे धर्म या सम्प्रदाय से बांधकर देखता है। वह ना केवल योग के फायदे से वंचित रहता है, अपितु अपने विचारों से तुच्छ समझा जाता है।
योग किसी बंधन का हिस्सा नहीं है, यह तो एक क्रिया है जिसे पूरी तन्मयता के साथ करने मात्र से मनुष्य अपने आप को स्वास्थ्य रूपी धनाढ्य पाता है। और कुछ साधना से समाधी को शिरोधार्य करता है।
Conclusion
ऐसा ना हो कि योग को जबरदस्ती किया जाये। परन्तु जब भी करें तो अपनी अन्तःभावना को समाहित कर, पूरी निष्ठा से करें जब होश व मन शांत हो।
योग से न केवल शारीरिक शक्ति अर्जन की जाती है, अपितु आध्यात्मिक शक्ति का अवतरण भी होता है। योगी के व्यक्तित्व में चमक और जीवन आनंद से लबालब होता है। और क्यों न जीवन ऐसा हो जिसमे प्रसन्नता, ख़ुशी, आत्मसम्मान, स्व अनुशासन, सयंममय जीवन का समावेश हो?
हमे केवल योग के बारे में जानना या किसी अन्य को इसके बारे में जानकारी देने तक ही सीमित नहीं रहना है। बल्कि हमे योग को अपने आप से शुरू करके अपने परिवार तक पहुंचना है और परिवार को स्वस्थ बनाना है। तभी इसके प्रभाव से पूरा मानव समाज स्वस्थ व सुदृढ़ बनेगा।
आशा करता हूँ कि आपको योग के बारे में जो मैंने बताने की कोशिश की वो आपको समझ में आयी होंगी। अगर आपका कोई प्रश्न या सुझाव हो आप कृपया comment जरूर करें।
धन्यवाद!
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